भारतीय समाज के एक बड़े वर्ग के पास आज भी मनोरंजन का साधन टीवी है. खाली समय में खासकर महिलायें सासड-बहू की रंजिश से भरे सीरियल देखना पसंद करती हैं. भारतीय समाज में यह चलन बेहद अनोखा है, लेकिन पिछले कुछ समय में देखा गया है कि सास-बहू के उबाऊ सीरियलों का स्थान मनोरंजन के एक अन्य कार्यक्रमों ने लिया है.
हाल ही में सबटीवी पर प्रसारित होने कविताओं पर आधारित कार्यक्रम “वाह-वाह क्या बात है” ने खासी लोकप्रियता हासिल की है. इस कार्यक्रम की लोकप्रियता यह संकेत देती है कि सामान्य जन मानस अब सास-बहू के तनाव भरे मनोरंजन की जगह पर स्वस्थ मनोरंजन को स्थान देना चाहता है. कवि सम्मेलन अपने बदले स्वरूप के साथ यह अवसर सहज उपलब्ध करवाता है.
आजकल कॉरपोरेट ऑफ़िस से लेकर शादी विवाह के अवसरों पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है. छोटी समयावधि के यह आयोजन सरलता से हो जाते है. अब कविताओं का आनंद लेने के लिये आपको परंपरागत कवि सम्मेलन में जाने की आवश्यकता नहीं होती. छोटे कवि सम्मेलन किसी भी अवसर पर आसानी से आयोजित किये जा सकते हैं. सबसे खास बात यह है कि सास बहू के सीरियल की तरह यह एक रस के नहीं होते हैं. इसमें हास्य का रस भी है और श्रंगार का रस भी है.
कवि सम्मेलन में एक कवि देशभक्ति की बात करता है तो दूसरा कवि हास्य के रस से आपको सराबोर कर देता है. शृंगार के कवि और कवयित्री सुनने वालों को रोमांच से भर देते हैं. कुल मिलाकर सास बहू के सीरियल पर कवि सम्मेलन की फ़ुहार बेहद सुहानी है.