कवि सम्मेलन का मंच हो और इस अवसर पर समाज के अन्य अहम मुद्दों के साथ राजनीति पर तीर न चलना बेहद स्वाभाविक है. हिंदी कवि सम्मेलन की एक अहम खासियत यह है कि यह सिर्फ़ मनोरंजन न होकर समाज और देश को दिशा देने वाला दिशा सूचक यंत्र भी है.
कवि सम्मेलन के मंचों से हास्य रस के कवि राजनीति पर कभी गुद्गुदाता सा प्रहार करते हैं तो ओज के कवि अपनी प्रखर आवाज में राजनीति के मूल्यों और राजनीति करने वालों को कड़ा संदेश देते हैं. कवि सम्मेलन के मंच पर मौजूद कवि चाहे वे किसी भी रस के क्यों न हो, वो राजनीतिक और सामाजिक जीवन में मौजूद विद्रूपताओं पर श्रोताओं का ध्यान खींचते हैं और उनको सोचने पर मजबूर करते हैं.
शायद कवि सम्मेलन का मंच सार्वजनिक तौर पर जितना अधिक राजनीति पर अपना प्रखर और निष्पक्ष स्वर रखता है, उतना कोई और मंच नहीं रखता. कविता के माध्यम से सामान्य जनमानस के दिल के भावों को शब्द देने वाले कवि वास्तव में राजनीति हो या सामाजिक मुद्दे, बस आम लोगों की बात ही कहने का प्रयास करते हैं. कवि सम्मेलन समाज और देश के लोगों के लिये और सामान्य लोगों के द्वरा आयोजित किया जाता है, अत: इसमें देश की राजनीति और सामाजिक व्यवस्था का केंद्रीय भूमिका में आना लाजमी है.