भारत एक उत्सवधर्मी देश है, जिसमें तमाम धर्मों के पर्व साल भर जीवन को उत्साह और उमंग के रंग से सराबोर करते रहते हैं. पर्व किसी भी धर्म का क्यों न हो उसका जश्न हमेशा जोरदार होता है. भारतीय पर्वों के रोमांच को और अधिक बढ़ाने का काम कवि सम्मेलनों का आयोजन करता है. रंगों का पर्व होली हो या प्रकाश का उत्सव दीपावली हो... हर अवसर पर भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है.
रामनवमी के पर्व पर देश के कई हिस्सों में मेलों का आयोजन होता है और इसी मौके पर भव्य और रंगारंग कवि सम्मेलनों का आयोजन भी होता है. होली के मौके पर तो छोटे से लेकर विशाल कवि सम्मेलनों का आयोजन भी होता है. हिंदू पर्वो के बाद जैन धर्म के अनेक पर्वो पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है.
होली हो या जैन धर्म का कोई पवित्र उत्सव, अमूमन हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है. होली पर तो हास्य और होली के गीतों से सराबोर कवि सम्मेलन को सुनकर लोग रोमांच से भर जाते है. सांस्कतिक पर्वो के साथ साथ हिंदी दिवस, राज्य स्थापना दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, साझरता दिवस, स्वच्छ्ता दिवस जैसे सरकारी पर्वो पर भी कवि सम्मेलन का बेहद सुंदर आयोजन किया जाता है.
भारतीय पर्व चाहे वो सांस्कृतिक, धार्मिक या सरकारी, कैसे भी हों, जीवन को उत्सव के रूप में मनाने का अवसर देते हैं और इन पर्वों पर कवि सम्मेलन का आयोजन करके इन उत्सवों को महोत्सव में रुपांतरित किया जाता है.